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"लाख काँटे हैं यहाँ पर फूल हैं, कलियाँ भी हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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लाख काँटे हैं यहाँ पर फूल हैं, कलियाँ भी हैं।
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लाख काँटे हैं यहाँ पर फूल हैं, कलियाँ भी हैं
 
ज़िंदगी है बस इसी से ग़म भी हैं, खुशियाँ भी हैं।
 
ज़िंदगी है बस इसी से ग़म भी हैं, खुशियाँ भी हैं।
  
क्या गलत है, क्या सही वो सब पता मुझको मगर,
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क्या गलत है, क्या सही वो सब पता मुझको मगर
 
आदमी हूँ इसलिए मुझ में बहुत कमियाँ भी हैं।
 
आदमी हूँ इसलिए मुझ में बहुत कमियाँ भी हैं।
  
देश के नक्शे में तो दिखती है बस पक्की सड़क,
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देश के नक्शे में तो दिखती है बस पक्की सड़क
 
देश में ही, पर हमारे गाँव की गलियाँ भी हैं।
 
देश में ही, पर हमारे गाँव की गलियाँ भी हैं।
  
क्या पता कितना अँधेरा और होता दोस्तो,
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है गनीमत इस शहर में मोम की गुड़ि़याँ भी है।
 
है गनीमत इस शहर में मोम की गुड़ि़याँ भी है।
  
आपको इस बात का भी फख्र होना चाहिए,
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आपको इस बात का भी फख्र होना चाहिए
 
सिर्फ आँखें ही नहीं हैं अश्रु की लड़ियाँ भी हैं।  
 
सिर्फ आँखें ही नहीं हैं अश्रु की लड़ियाँ भी हैं।  
 
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17:05, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

लाख काँटे हैं यहाँ पर फूल हैं, कलियाँ भी हैं
ज़िंदगी है बस इसी से ग़म भी हैं, खुशियाँ भी हैं।

क्या गलत है, क्या सही वो सब पता मुझको मगर
आदमी हूँ इसलिए मुझ में बहुत कमियाँ भी हैं।

देश के नक्शे में तो दिखती है बस पक्की सड़क
देश में ही, पर हमारे गाँव की गलियाँ भी हैं।

क्या पता कितना अँधेरा और होता दोस्तो
है गनीमत इस शहर में मोम की गुड़ि़याँ भी है।

आपको इस बात का भी फख्र होना चाहिए
सिर्फ आँखें ही नहीं हैं अश्रु की लड़ियाँ भी हैं।