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"गंदगी धेाने में थोड़ा हाथ मैला हो गया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गंदगी धेाने में  थोड़ा हाथ मैला हो गया।
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पर, मेरा पानी से रिश्ता और गहरा हो गया।
 
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ये अँधेरा ही न होता तो बताओ फिर मुझे,
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क्या पता चलता कि जीवन में सवेरा हो गया।
 
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दो मुलाक़ातें हुईं उससे मगर अब देखिये,
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अजनवी जो कल तलक था यार मेरा हो गया।
 
अजनवी जो कल तलक था यार मेरा हो गया।
  
इन परिंदों के लिए क्या आम, महुआ, नीम क्या,
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मिल गया जो पेड़ उस पर ही बसेरा हो गया।
 
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वो किसी की पीर या दुख-दर्द आखिर क्या सुने,
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वो किसी की पीर या दुख-दर्द आखिर क्या सुने
 
कान वाला होके जो इन्सान बहरा हो गया।
 
कान वाला होके जो इन्सान बहरा हो गया।
 
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17:11, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

गंदगी धेाने में थोड़ा हाथ मैला हो गया
पर, मेरा पानी से रिश्ता और गहरा हो गया।

ये अँधेरा ही न होता तो बताओ फिर मुझे
क्या पता चलता कि जीवन में सवेरा हो गया।

दो मुलाक़ातें हुईं उससे मगर अब देखिये
अजनवी जो कल तलक था यार मेरा हो गया।

इन परिंदों के लिए क्या आम, महुआ, नीम क्या
मिल गया जो पेड़ उस पर ही बसेरा हो गया।

वो किसी की पीर या दुख-दर्द आखिर क्या सुने
कान वाला होके जो इन्सान बहरा हो गया।