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"गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ।
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गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ
 
मुखिया का दालान देखकर आया हूँ।
 
मुखिया का दालान देखकर आया हूँ।
  
मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई,
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मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई
 
सुखिया को हैरान देखकर आया हूँ।
 
सुखिया को हैरान देखकर आया हूँ।
  
कागज़ पर पूरा पानी है नहरों में,
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कागज़ पर पूरा पानी है नहरों में
 
सूख गया जो धान देखकर आया हूँ।
 
सूख गया जो धान देखकर आया हूँ।
  
कल तक टूटी छान न थी अब पक्का है,
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कल तक टूटी छान न थी अब पक्का है
 
नया-नया परधान देखकर आया हूँ।
 
नया-नया परधान देखकर आया हूँ।
  
लछमिनिया थी चुनी गयी परधान मगर,
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लछमिनिया थी चुनी गयी परधान मगर
 
उसका ‘पती-प्रधान’ देखकर आया हूँ।
 
उसका ‘पती-प्रधान’ देखकर आया हूँ।
  
बंगले के अन्दर में जाने क्या होगा,
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बंगले के अन्दर में जाने क्या होगा
 
अभी तो केवल लॉन देखकर आया हूँ।
 
अभी तो केवल लॉन देखकर आया हूँ।
  
रोज सदन में गाँव पे चर्चा होती है,
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रोज सदन में गाँव पे चर्चा होती है
 
‘मेरा देश महान’ देखकर आया हूँ।
 
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17:23, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ
मुखिया का दालान देखकर आया हूँ।

मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई
सुखिया को हैरान देखकर आया हूँ।

कागज़ पर पूरा पानी है नहरों में
सूख गया जो धान देखकर आया हूँ।

कल तक टूटी छान न थी अब पक्का है
नया-नया परधान देखकर आया हूँ।

लछमिनिया थी चुनी गयी परधान मगर
उसका ‘पती-प्रधान’ देखकर आया हूँ।

बंगले के अन्दर में जाने क्या होगा
अभी तो केवल लॉन देखकर आया हूँ।

रोज सदन में गाँव पे चर्चा होती है
‘मेरा देश महान’ देखकर आया हूँ।