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"इस मिट्टी को छूकर देखो गाँव दिखायी देगा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | इस मिट्टी को छूकर देखो गाँव दिखायी | + | इस मिट्टी को छूकर देखो गाँव दिखायी देगा |
सर्दी- गर्मी खाकर देखों गाँव दिखायी देगा। | सर्दी- गर्मी खाकर देखों गाँव दिखायी देगा। | ||
− | गाँव बड़ा अच्छा लगता है वहाँ से बैठे- बैठे | + | गाँव बड़ा अच्छा लगता है वहाँ से बैठे- बैठे |
दो दिन गाँव में रहकर देखो गाँव दिखायी देगा। | दो दिन गाँव में रहकर देखो गाँव दिखायी देगा। | ||
− | गाँव न हो तो कहाँ जाँय ये जीव -जन्तु बेचारे | + | गाँव न हो तो कहाँ जाँय ये जीव -जन्तु बेचारे |
कीरा - बीछी, गोजर देखो गाँव दिखायी देगा। | कीरा - बीछी, गोजर देखो गाँव दिखायी देगा। | ||
− | भेालेराम की भेाली सूरत जो अंदर वो बाहर | + | भेालेराम की भेाली सूरत जो अंदर वो बाहर |
कंकर - कंकर शंकर देखो गाँव दिखायी देगा। | कंकर - कंकर शंकर देखो गाँव दिखायी देगा। | ||
− | गाँव छोड़कर कहाँ आ गये क्या खेाया, क्या पाया | + | गाँव छोड़कर कहाँ आ गये क्या खेाया, क्या पाया |
फिर से गाँव लौटकर देखो गाँव दिखायी देगा। | फिर से गाँव लौटकर देखो गाँव दिखायी देगा। | ||
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17:23, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
इस मिट्टी को छूकर देखो गाँव दिखायी देगा
सर्दी- गर्मी खाकर देखों गाँव दिखायी देगा।
गाँव बड़ा अच्छा लगता है वहाँ से बैठे- बैठे
दो दिन गाँव में रहकर देखो गाँव दिखायी देगा।
गाँव न हो तो कहाँ जाँय ये जीव -जन्तु बेचारे
कीरा - बीछी, गोजर देखो गाँव दिखायी देगा।
भेालेराम की भेाली सूरत जो अंदर वो बाहर
कंकर - कंकर शंकर देखो गाँव दिखायी देगा।
गाँव छोड़कर कहाँ आ गये क्या खेाया, क्या पाया
फिर से गाँव लौटकर देखो गाँव दिखायी देगा।