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"हुस्न है तो अदा कहाँ जाये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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हुस्न है तो अदा कहाँ जाये।
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हुस्न है तो अदा कहाँ जाये
 
इस बला से बचा कहाँ जाये।
 
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तेरे तो लाख ठिकाने हैं मगर,
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तेरे तो लाख ठिकाने हैं मगर
 
तेरा आशिक  बता कहाँ जाये।
 
तेरा आशिक  बता कहाँ जाये।
  
तेरे बिन क्या वजू़द है मेरा,
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तेरे बिन फिर बसा कहाँ जाये।
 
तेरे बिन फिर बसा कहाँ जाये।
  
तेरी आँखों से जो छलक उट्ठे,
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मेरी जाँ वो नशा कहाँ जाये।
 
मेरी जाँ वो नशा कहाँ जाये।
 
   
 
   
पास में इस ग़रीब का भी है घर,
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मस्ज़िदों से ख़ुदा कहाँ जाये।
 
मस्ज़िदों से ख़ुदा कहाँ जाये।
  
जितनी चाहे तू कोशिशें कर ले,
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जितनी चाहे तू कोशिशें कर ले
 
ज़ुर्म करके छुपा कहाँ जाये।
 
ज़ुर्म करके छुपा कहाँ जाये।
 
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17:24, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

हुस्न है तो अदा कहाँ जाये
इस बला से बचा कहाँ जाये।

तेरे तो लाख ठिकाने हैं मगर
तेरा आशिक बता कहाँ जाये।

तेरे बिन क्या वजू़द है मेरा
तेरे बिन फिर बसा कहाँ जाये।

तेरी आँखों से जो छलक उट्ठे
मेरी जाँ वो नशा कहाँ जाये।
 
पास में इस ग़रीब का भी है घर
मस्ज़िदों से ख़ुदा कहाँ जाये।

जितनी चाहे तू कोशिशें कर ले
ज़ुर्म करके छुपा कहाँ जाये।