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"दुश्मने जाँ सामने हो तो ख़ता अच्छी लगे / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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खु़द वो अपने हाथ से दे तो सजा अच्छी लगे। | खु़द वो अपने हाथ से दे तो सजा अच्छी लगे। | ||
− | इस तरह वो दिल के साँचें में हमारे ढल गयी | + | इस तरह वो दिल के साँचें में हमारे ढल गयी |
जब हँसे अच्छी लगे, जब हो खफ़ा अच्छी लगे। | जब हँसे अच्छी लगे, जब हो खफ़ा अच्छी लगे। | ||
− | गेसुओं की छाँव हो तो हर बला मंजूर है | + | गेसुओं की छाँव हो तो हर बला मंजूर है |
बिजलियाँ अच्छी लगें,काली घटा अच्छी लगे। | बिजलियाँ अच्छी लगें,काली घटा अच्छी लगे। | ||
− | वो हमारे साथ है तो फिक्र फिर किस बात की | + | वो हमारे साथ है तो फिक्र फिर किस बात की |
गर्मियाँ अच्छी लगें, बादे-सबा अच्छी लगे। | गर्मियाँ अच्छी लगें, बादे-सबा अच्छी लगे। | ||
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17:27, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
दुश्मने जाँ सामने हो तो ख़ता अच्छी लगे
खु़द वो अपने हाथ से दे तो सजा अच्छी लगे।
इस तरह वो दिल के साँचें में हमारे ढल गयी
जब हँसे अच्छी लगे, जब हो खफ़ा अच्छी लगे।
गेसुओं की छाँव हो तो हर बला मंजूर है
बिजलियाँ अच्छी लगें,काली घटा अच्छी लगे।
वो हमारे साथ है तो फिक्र फिर किस बात की
गर्मियाँ अच्छी लगें, बादे-सबा अच्छी लगे।