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"जा तुझे भी मिले खुशी कोई / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | जा तुझे भी मिले खुशी | + | जा तुझे भी मिले खुशी कोई |
बात समझे तो दर्द की कोई। | बात समझे तो दर्द की कोई। | ||
− | मुझको अपना बना के बैठा है | + | मुझको अपना बना के बैठा है |
मेरे घर आ के अजनवी कोई। | मेरे घर आ के अजनवी कोई। | ||
− | सब्र करके मैं रह गया प्यासा | + | सब्र करके मैं रह गया प्यासा |
पास बहती रही नदी कोई। | पास बहती रही नदी कोई। | ||
− | मुझको तेरे करीब लायी है | + | मुझको तेरे करीब लायी है |
मेरे भीतर की तश्नगी कोई। | मेरे भीतर की तश्नगी कोई। | ||
− | दर्द ख़ुद ही जबाँ पे आता है | + | दर्द ख़ुद ही जबाँ पे आता है |
यूँ ही कहता नहीं कभी कोई। | यूँ ही कहता नहीं कभी कोई। | ||
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17:27, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
जा तुझे भी मिले खुशी कोई
बात समझे तो दर्द की कोई।
मुझको अपना बना के बैठा है
मेरे घर आ के अजनवी कोई।
सब्र करके मैं रह गया प्यासा
पास बहती रही नदी कोई।
मुझको तेरे करीब लायी है
मेरे भीतर की तश्नगी कोई।
दर्द ख़ुद ही जबाँ पे आता है
यूँ ही कहता नहीं कभी कोई।