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"ना अम्मा, ना बाबू, ना बचपन की खुशी हमारे पास / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | ना अम्मा, ना बाबू, ना बचपन की खुशी हमारे | + | ना अम्मा, ना बाबू, ना बचपन की खुशी हमारे पास |
सिर्फ नौकरी, बीवी- बच्चे केवल यही हमारे पास। | सिर्फ नौकरी, बीवी- बच्चे केवल यही हमारे पास। | ||
− | वो बखार, वो भरी डेहरी वो थे ठाट अमीरी के | + | वो बखार, वो भरी डेहरी वो थे ठाट अमीरी के |
रोज़ चुका रहता अब राशन आफ़त खड़ी हमारे पास। | रोज़ चुका रहता अब राशन आफ़त खड़ी हमारे पास। | ||
− | ज़रा - ज़रा सी चीजो़ं की ख़ातिर भी बच्चे तरस गये | + | ज़रा - ज़रा सी चीजो़ं की ख़ातिर भी बच्चे तरस गये |
बात - बात में नोटों की बस गर्मी रही हमारे पास। | बात - बात में नोटों की बस गर्मी रही हमारे पास। | ||
− | हम शायर, कवियों की बातें दुनिया खूब समझती है | + | हम शायर, कवियों की बातें दुनिया खूब समझती है |
हम खु़द में भी झाँक के देखें बस बतकही हमारे पास। | हम खु़द में भी झाँक के देखें बस बतकही हमारे पास। | ||
− | हमने बहुत कमाया किन्तु कमाया क्या कुछ पता नहीं | + | हमने बहुत कमाया किन्तु कमाया क्या कुछ पता नहीं |
दादा, बाबा से जो पाया पूँजी वही हमारे पास। | दादा, बाबा से जो पाया पूँजी वही हमारे पास। | ||
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17:28, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
ना अम्मा, ना बाबू, ना बचपन की खुशी हमारे पास
सिर्फ नौकरी, बीवी- बच्चे केवल यही हमारे पास।
वो बखार, वो भरी डेहरी वो थे ठाट अमीरी के
रोज़ चुका रहता अब राशन आफ़त खड़ी हमारे पास।
ज़रा - ज़रा सी चीजो़ं की ख़ातिर भी बच्चे तरस गये
बात - बात में नोटों की बस गर्मी रही हमारे पास।
हम शायर, कवियों की बातें दुनिया खूब समझती है
हम खु़द में भी झाँक के देखें बस बतकही हमारे पास।
हमने बहुत कमाया किन्तु कमाया क्या कुछ पता नहीं
दादा, बाबा से जो पाया पूँजी वही हमारे पास।