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"नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात | + | नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने |
हमारे गाँव में लाओं तो कोई बात बने। | हमारे गाँव में लाओं तो कोई बात बने। | ||
− | हमारे गाँव से दिल्ली तुम्हारी दूर बहुत | + | हमारे गाँव से दिल्ली तुम्हारी दूर बहुत |
यहाँ से राज चलाओं तो कोई बात बने। | यहाँ से राज चलाओं तो कोई बात बने। | ||
− | गरीब आदमी तो कोशिशें | + | गरीब आदमी तो कोशिशें कर–कर के थका |
नसीब उसका बदल दो तो कोई बात बने। | नसीब उसका बदल दो तो कोई बात बने। | ||
− | कहाँ ज़रूरी है ये हर ज़मीन समतल हो | + | कहाँ ज़रूरी है ये हर ज़मीन समतल हो |
जिगर पहाड़ का काटो तो कोई बात बने। | जिगर पहाड़ का काटो तो कोई बात बने। | ||
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17:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने
हमारे गाँव में लाओं तो कोई बात बने।
हमारे गाँव से दिल्ली तुम्हारी दूर बहुत
यहाँ से राज चलाओं तो कोई बात बने।
गरीब आदमी तो कोशिशें कर–कर के थका
नसीब उसका बदल दो तो कोई बात बने।
कहाँ ज़रूरी है ये हर ज़मीन समतल हो
जिगर पहाड़ का काटो तो कोई बात बने।