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"उधर हैं आधियाँ इधर चिराग़ जलता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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उधर हैं आधियाँ इधर चिराग़ जलता है।
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उधर हैं आधियाँ इधर चिराग़ जलता है
 
वहीं है खार, वहीं फूल भी विहँसता है।
 
वहीं है खार, वहीं फूल भी विहँसता है।
  

17:31, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

उधर हैं आधियाँ इधर चिराग़ जलता है
वहीं है खार, वहीं फूल भी विहँसता है।

हवस के नाम पे क्या-क्या बटोरता इन्साँ
जो देखो पास से तो फिर ग़रीब रहता है।

कहूँ कैसे ये अहमियत नहीं है पैसे की
हरेक आदमी पैसे की बात करता है।

मेरा बेटा नयी तहजी़ब पढ़ के आया है
वो बुजुर्गो को पुराने ख़याल कहता है।