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"उड़ गये रंग हुए श्वेत हम / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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उड़ गये रंग हुए श्वेत हम।
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कब भरे, कब पके, कब कटे,
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आज परती पड़े खेत हम।
 
आज परती पड़े खेत हम।
  
वक्त़ ने मार डाला हमें,
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आदमी से हुए प्रेत हम।
 
आदमी से हुए प्रेत हम।
  
क्या नयन बोलते आपके,
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वो समझते हैं संकेत हम।
 
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17:32, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

उड़ गये रंग हुए श्वेत हम
हो गये सूखकर रेत हम।

कब भरे, कब पके, कब कटे
आज परती पड़े खेत हम।

वक्त़ ने मार डाला हमें
आदमी से हुए प्रेत हम।

क्या नयन बोलते आपके
वो समझते हैं संकेत हम।