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"जिंदगी थोड़ी है बंधन बहुत ज्यादा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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और अब मिलता है बेमन बहुत ज़्यादा।
 
और अब मिलता है बेमन बहुत ज़्यादा।
  
हर किसी का एक ही चिंता सताती
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हर किसी को एक ही चिंता सताती
 
राम कम हैं और रावन बहुत ज़्यादा।
 
राम कम हैं और रावन बहुत ज़्यादा।
 
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15:33, 24 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

जिंदगी थोड़ी है बंधन बहुत ज्यादा
दोस्त कम हैं और दुश्मन बहुत ज़्यादा।

चार दिन पहले उसी से दोस्ती थी
आजकल उससे है अनबन बहुत ज़्यादा।

कल तलक तस्वीर लेकर घूमता था
और अब मिलता है बेमन बहुत ज़्यादा।

हर किसी को एक ही चिंता सताती
राम कम हैं और रावन बहुत ज़्यादा।