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"बाँसुरी यदि हो सके तो / कल्पना 'मनोरमा'" के अवतरणों में अंतर

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सो गया है ऊब कर दिन  
 
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हाथ ले टूटे सितारे  
 
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साथ खंजर  
 
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मत बुलाना ।
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मत बुलाना।
 
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12:29, 9 सितम्बर 2017 का अवतरण

बाँसुरी यदि हो सके तो
मत बजाना।

आग चूल्हे में सिमिट कर
खो गई है
भूख आँचल से लिपट कर
सो गई है
सो गया है ऊब कर दिन
मत जगाना।

हाथ ले टूटे सितारे
रात रोती
आँसुओं से स्वयं का
आँचल भिगोती
हो सके तो दीप की लौ
मत बुझाना।

साँस लेती साँस तो
बजता है पिंजर
पीर रखती है हमेशा
साथ खंजर
मौन मन को हो सके तो
मत बुलाना।