"कविता कोश के बारे में टिप्पणियाँ" के अवतरणों में अंतर
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− | </ | + | कविता रचने और उसकी पूर्णता पर जो खुशी मुझे मिलती रही है, उससे कुछ अधिक ही आनन्द "कविता कोश" पर अपनी अंगिका और हिन्दी की कविताओं को पढ़ कर होता है। बात सिर्फ़ मेरी रचनाओं तक ही सीमित नहीं है, हिन्दी के लोकप्रिय कवियों की रचनाओं को पढ़ कर मुझे जिस अतिशय आनन्द की प्राप्ति होती है, उस व्यक्त करना कठिन है । भारतीय भाषाओँ को लोकप्रिय और सर्वव्यापी बनाने में "कविता कोश" ने जो भूमिका निभायी है, वह अद्भुत है, अभिभूत करने वाली है। अंगिका रचनाकारों को तो "कविता कोश" ने एक संयुक्त परिवार में ही बाँध दिया है और अंगिका का नाद आकाश तक गूँज उठा है। [http://kavitakosh.org/kk/otherapps/kkparivaar/kkparivaar.htm कविता कोश परिवार] को मेरा हार्दिक आभार निवेदित। |
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[अमरेन्द्र|डा. अमरेन्द्र]]</div> | ||
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+ | आपको साधुवाद ललित सर हिन्दी साहित्य के हितार्थ जो कदम आपने उठाए हैं उससे हम शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों लाभ उठाते हैं। कई परियोजनाएँ भारत के विश्वविद्यालयों में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए चलती है पर ऐसा व्यापक अंतर्जालिक कोई भी सोच न पाया हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में जो भी खोजते है पहले काव्य अथवा गद्य कोष में ही टटोलते व खंगालते है। आपको कोटि कोटि धन्यवाद। | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">मुक्ता खन्ना, प्राध्यापक, लखनऊ, (3 जुलाई 2014)</div> | ||
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+ | दो साल पहले एक स्टूडेंट ने मुझसे एक कविता के बारे में पूछा जो उसे नहीं आती थी।उसे कविता की एक लाइन ही याद थी।कविता मेरी पढ़ी हुई थी लेकिन मुझे भी पूरी याद नहीं आ रही थी। मैंने उस से अगले दिन बताने को कहा। घर आ कर मैंने उन किताबों में दूंढने की कोशिश की जो मेरे पास थीं लेकिन मुझे वो कविता नहीं मिली। फिर मैंने इन्टरनेट पर कविता खोजने की सोची। गूगल ने सबसे पहला रिजल्ट जो जिस वेबसाइट का दिखाया वो कविता कोश का था। कविता मुझे मिल गयी थी। अगले दिन उस स्टूडेंट को वो कविता दे दी। उसे कविता मिल गयी और मुझे कविता कोश... | ||
− | + | उस दिन से लेकर आज तक जब भी कोई कविता, दोहा, नज़्म या कोई भी रचना जो मैं भूल जाती हूँ या अधूरी आती है कविता कोश की मदद से मुझे मिल जाती है। कविता कोश मेरे लिए जादू की पिटारी जैसा है जिसमें से हर बार मुझे मनचाही कविता मिल जाती है। ऐसा बहुत कम हुआ है कि मैंने कविता कोश में कुछ खोजा हो और वो मुझे ना मिला हो। | |
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− | + | कविता कोश के बारे में मैंने अपने उस स्टूडेंट को तो बताया ही साथ ही साथ और भी कई बच्चों और मित्रों को बताया।मुझसे जब भी कोई किसी कविता के बारे में पूछता है जो उसे नहीं मिल रही होती है तो मैं उसे कविता कोश के बारे में बता देती हूँ। | |
+ | कविता कोश जैसी साईट बनाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">पूजा शर्मा, अध्यापिका, नई दिल्ली, (17 जून 2014)</div> | ||
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+ | मैं खुद एक टीचर होने के कारण अपने विद्यार्थियों को अनेक गद्य और पद्य से जुड़े प्रोजेक्ट देती रहती हूँ। बच्चे लेखकों के और अलग-अलग विधाओं के नाम सुनकर भयाक्रांत हो उठते हैं। आज की पीढ़ी को गूगल के अलावा कुछ और समझ ही कहाँ आता है!! ऐसे में मैं उन्हें हर विधा के लिए सिर्फ एक ही साईट खोलने की सलाह देती हूँ - कविता कोश (और इसी के जरिये गद्य कोश)। यकीन मानिए मुझे सिर्फ दो सेमेस्टर में ही उन्हें इस साईट के बारे में बताना पड़ा, बाकी अब इसका प्रचार वे खुद ही एक दूसरे के बीच कर रहे हैं। एक दिन मेरी एक स्टूडेंट मेरे पास उछलती हुई आई और बोली- "maam आपने तो बताया ही नहीं था कि गद्य कोश में आपका भी पन्ना है!!" और मैं सिर्फ प्यार से उसके गाल को थपथपा के हँस दी। | ||
− | + | ललित जी, साहित्य के क्षेत्र में इस अमूल्य योगदान के लिए आप साधुवाद के पात्र हैं। हमारी हर पीढ़ी आपकी शुक्रगुज़ार रहेगी। आपको नमन है। | |
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− | + | <div id="kkcomentatorname">रश्मि, अध्यापिका, ग़ाज़ियाबाद, (17 जून 2014)</div> | |
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− | कविता कोश | + | ललितजी को गुरूजी का स्नेहाशीष। कविता कोश की आठवीं वर्षगांठ की अग्रिम बधाई। कविता कोश का भाई गद्य कोश तो मुझे झकझोर कर जगादिया। प्रकाशन जगत की विडम्बनाओं से उब कर लेखन से ही जी चुरा रहा था। अब भला आप ही कहिये न- कोई नायिका रोज नये श्रृंगार करके बैठेगी और उसे निहारने वाला ही नहीं रहेगा तो क्या होगा? गद्य कोश पर मेरे दो उपन्यास और सोलह अन्य रचनाओं को स्थान देकर इस टीम ने मुझे तो भाई पुनुर्जीवित कर दिया। इसकी कितनी सराहना करुँ कम ही है। कविता की तो मैं तुकवन्दी भी नहीं कर पाता, अतः उसके लायक मेरे पास कुछ नहीं। पर कविता का रसास्वादन तो करता ही रहता हूँ। जानकरियों का पिटारा है कविता कोश। उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना। ईश्वर करे दिन-दूना रात चौगना तरक्की करे। पूरी मंडली को मेरा हार्दिक अभिनन्दन और आशीष। |
− | कविता कोश | + | |
− | + | चिर विरहिणी को अपने प्रियतम से मिल कर जो खुशी और आनन्द मिलता है; कुछ वैसी ही रसानुभुति होती है इस विराट कविता कोश को वारम्बार निहार कर। | |
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+ | <div id="kkcomentatorname">कमलेश पुण्यार्क "गुरुजी", वास्तुकार, गया, (18 जून 2014)</div> | ||
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+ | कविता कोश के बारे में कुछ कहना अपने आप में एक असम्भव सा काम है। कविता कोश को मैंने हमेशा रेफेर करता था, जब भी मुझे कोई कविता या कुछ और जानकारियाँ चाहिए होती तो मुझे कविताकोश को देखता, वहीं से जानकारी हांसिल करता था। और आज भी मेरा सिंगल पॉइंट रिफरेन्स कविताकोश ही है। बाद में बहुत बाद में जब मेरी अपनी कविताएँ और कहानियाँ इसका हिस्सा बनी तो मैं ख़ुशी के मारे फूला न समाया। ये मेरी एक साहित्यकार के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। इसके लिए मैं ललित जी और कविताकोश का हमेशा ही शुक्रगुजार रहूँगा! ललित जी ने जो काम किया है कविताकोश के रूप में, वो अतुलनीय है। कविताकोश की तरह समृद्ध कोई और साईट नहीं है। इन्टरनेट पर इतनी अच्छी सामग्री कहीं और नहीं है। यकीनन, ललित जी ने बहुत मेहनत का काम किया है। मेरी दिल से बधाई और शुभकामनाएँ ललित जी को और कविताकोश को | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[विजय कुमार सप्पत्ति]], लेखक</div> | ||
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+ | ये है कविता कोश अनुपम, अलंकारों से जड़ा,<br> | ||
+ | जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ा<br> | ||
+ | हीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों ने गढी<br> | ||
+ | कोश कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढीं.<br> | ||
+ | थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ी<br> | ||
+ | इनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.<br> | ||
+ | जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,<br> | ||
+ | साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र '''"कविता कोश"''' में<br> | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[मृदुल कीर्ति | डॉ. मृदुल कीर्ति]], कवयित्री</div> | ||
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− | कविता कोश | + | <div id="kkreadercomment"> |
+ | कविता कोश ने दो वर्ष की यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसके माध्यम से आपने हिन्दी के लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि कविताकोश की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए आपको मेरी ढेर सारी बधाई. | ||
+ | </div> | ||
+ | <div id="kkcomentatorname">रूपसिंह चन्देल, लेखक</div> | ||
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− | शुभकामनाओं के साथ<br><br> | + | <div id="kkreadercommentsblock"> |
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+ | हिन्दी काव्य सृजन के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग के समक्ष कविता कोश के रूप में लाकर रखने का आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा के लिये लिए कम—अज़—कम मेरे पास तो शब्द ही नहीं हैं! | ||
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+ | मात्र दो वर्ष में इतना अधिक नया—पुराना काव्य सृजन साहित्य प्रेमियों के लिए कविता कोष में जुटा पाना एक सपने जैसा तो लगता है, लेकिन इस सपने को यहाँ सच होते हुए भी हम देख ही पा रहे हैं। आश्वस्त हुआ जा सकता है कि आने वाले कुछ ही वर्षों में विश्व भर का हिन्दी काव्य यहाँ उपलब्ध होगा। | ||
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+ | ''है तेरे साथ अगर तेरे इरादों का जुनूँ,''<br> | ||
+ | ''क़ाफ़िला है तू कभी खु़द को अकेला न समझ''<br> | ||
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+ | आपका यह संकल्प निरन्तर बना रहे, सुदृढ़ हो! | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[द्विजेन्द्र 'द्विज']]</div> | ||
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+ | कविता कोश से जुड़ कर बहुत अच्छा लगा। कविता कोश के साथ क्यों नहीं कथाकोश की शुरुआत करते...अच्छा रहेगा... कविता कोश की उन्नति हो...</div> | ||
+ | <div id="kkcomentatorname">[[आभा बोधिसत्त्व]]</div> | ||
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+ | यह हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए बड़े गर्व और हर्ष की बात है कि आपने जिस महत्वपूर्ण लेकिन बहुत कठिन काम का सपना देखा था, वह आज एक उपलब्द्धि के रूप में हमारे सामने हैं। नि:संदेह यह दुरुह और श्रमसाध्य कार्य था लेकिन आपकी निष्ठा और लगन ने सिद्ध कर दिया है कि आदमी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। कविता कोश में गत दो वर्षों में 325 से अधिक कवियों की 10,000 रचनाओं को संकलित करके न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए वरन आने वाली नई पीढ़ी के लिए एक बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है, इसके लिए आप को और कविता कोश की पूरी टीम को बधाई। | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[सुभाष नीरव]]</div> | ||
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+ | कविता कोश निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी रचना जगत का एक जरूरी वेब जाल है । शुभकामनाएँ और बधाई | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[दिविक रमेश]]</div> | ||
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+ | इस भगीरथ आनन्द लहरी के बारे में क्या लिखूं, कविता कोष वाकई में काव्य प्रेमियों की विश्रामस्थली बन चुका है...दस्तक दो और मित्र हाजिर की भांति सूर तुलसी कबीर से लेकर नीरज और बशीर बद्र तक बच्चन, निराला फैज किस किस का नाम लूं, करीब-करीब सभी तो बस एक क्लिक अवे ! यह बहुमूल्य कविता कोष का खजाना यूं ही दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता रहे, इन्ही अशेष शुभकामनाओं के साथ... | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">शैल अग्रवाल</div> | ||
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+ | यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ... | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[रमा द्विवेदी | डॉ. रमा द्विवेदी]]</div> | ||
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+ | महान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश. जब से जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के इस महासागर में डूबती जाती हूँ. भगवान से प्रर्थना है की ये यूँ ही उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहे. | ||
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+ | ''कवियों की रचनाओं से परिचय करवाता कविता कोश''<br> | ||
+ | ''कविताओं का विशाल सागर है ये कविता कोश''<br> | ||
+ | ''एक व्यक्ति नही पूरी टीम का प्रयास है कविता कोश''<br> | ||
+ | ''हो बधाई सब को जिसने भी सजाया कविता कोश''<br> | ||
+ | ''कवि प्रेमियों का बसेरा है ये कविता कोश''<br> | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">रचना श्रीवास्तव</div> | ||
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+ | कविता कोश नामक इस साइट ने हिन्दी-जगत को जो अनूठा उपहार प्रदान किया है वह एक निश्चित ही सराहनीय है। इस साइट ने हिन्दी काव्य के हर पहलू एवं अतीत से वर्तमान तक से सभी साहित्यकारों के परिचय एवं उनके साहित्य को दिये योगदान को एक श्रृंखला में पिरोया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कविता कोश दिन-रात अमर बेल की तरह बढ़ता रहे। | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[भावना कुँवर | डॉ. भावना कुँवर]]</div> | ||
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+ | कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा। | ||
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+ | <div id="kkcomentatorname">[[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']]</div> | ||
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+ | कविता कोश से परिचित होना हिन्दी कविता के संदर्भ में इकीसवीं सदी के कवि-स्वप्न से रूबरू होने जैसा है; कम से कम मुझे तो ऐसा ही अनुभव हो रहा है। | ||
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+ | अंग्रेज़ी शब्दों के महाजाल के बीच स्थित कम्प्यूटर का अनजाना सा दिखनेवाला पर्दा जब अचानक महादेवी वर्मा, अज्ञेय, दुष्यंत कुमार इत्यादि की रचनाओं की दीप्ती तले कौंधने लगता है और विनोद कुमार शुक्ल, अरुण कमल आदि की रचनाओं को प्रस्तुत करने लगता है तो मन में हिन्दी कविता के प्रति आश्वस्ती सी जागती है। सुकून और तसल्ली की लहर हृदय को छूती है, दिलासा देती है कि हिन्दी कविता कहीं न कहीं वयव्यथा के बीच मौजूद है और शायद ऐसे ही आगे भी बनी रहेगी, स्वयं को बनाये रख पाएगी। ये तय है की कविता कोश स्वयं को और अधिक प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित कर पाएगा यदि विज्ञान के तीव्र क़दमों के बीच हिन्दी के फ़ॉन्ट को भी ढंग से नियोजित किया जाए। | ||
+ | |||
+ | शुभकामनाएँ।<br> | ||
+ | कविता कोश के लिये!<br> | ||
+ | कविता कोश का प्रथम स्वप्न देखने वाले के लिये!<br> | ||
+ | कविता कोश टीम से सम्बंधित सभी लोगों के लिये।<br> | ||
+ | </div> | ||
+ | <div id="kkcomentatorname">[[इला कुमार]]</div> | ||
+ | </div> | ||
− | ''' | + | <div id="kkreadercommentsblock"> |
+ | <div id="kkreadercomment"> | ||
+ | हिन्दी उन्नति कर रही, देखि हुआ संतोष,<br> | ||
+ | कविगण हो आनन्दमय, देखें 'कविता कोश'<br> | ||
+ | देखें कविता कोश सभी पाठकगण आकर<br> | ||
+ | दीवाने हों मधुशाला में डुबकी पाकर<br> | ||
+ | कह 'सज्जन' कविराय, आज बन सुन्दर बिन्दी<br> | ||
+ | भारत माता के मस्तक पर सजती हिन्दी<br> | ||
+ | </div> | ||
+ | <div id="kkcomentatorname">[[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]</div> | ||
+ | </div> |
22:24, 3 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
कविता रचने और उसकी पूर्णता पर जो खुशी मुझे मिलती रही है, उससे कुछ अधिक ही आनन्द "कविता कोश" पर अपनी अंगिका और हिन्दी की कविताओं को पढ़ कर होता है। बात सिर्फ़ मेरी रचनाओं तक ही सीमित नहीं है, हिन्दी के लोकप्रिय कवियों की रचनाओं को पढ़ कर मुझे जिस अतिशय आनन्द की प्राप्ति होती है, उस व्यक्त करना कठिन है । भारतीय भाषाओँ को लोकप्रिय और सर्वव्यापी बनाने में "कविता कोश" ने जो भूमिका निभायी है, वह अद्भुत है, अभिभूत करने वाली है। अंगिका रचनाकारों को तो "कविता कोश" ने एक संयुक्त परिवार में ही बाँध दिया है और अंगिका का नाद आकाश तक गूँज उठा है। कविता कोश परिवार को मेरा हार्दिक आभार निवेदित।
आपको साधुवाद ललित सर हिन्दी साहित्य के हितार्थ जो कदम आपने उठाए हैं उससे हम शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों लाभ उठाते हैं। कई परियोजनाएँ भारत के विश्वविद्यालयों में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए चलती है पर ऐसा व्यापक अंतर्जालिक कोई भी सोच न पाया हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में जो भी खोजते है पहले काव्य अथवा गद्य कोष में ही टटोलते व खंगालते है। आपको कोटि कोटि धन्यवाद।
दो साल पहले एक स्टूडेंट ने मुझसे एक कविता के बारे में पूछा जो उसे नहीं आती थी।उसे कविता की एक लाइन ही याद थी।कविता मेरी पढ़ी हुई थी लेकिन मुझे भी पूरी याद नहीं आ रही थी। मैंने उस से अगले दिन बताने को कहा। घर आ कर मैंने उन किताबों में दूंढने की कोशिश की जो मेरे पास थीं लेकिन मुझे वो कविता नहीं मिली। फिर मैंने इन्टरनेट पर कविता खोजने की सोची। गूगल ने सबसे पहला रिजल्ट जो जिस वेबसाइट का दिखाया वो कविता कोश का था। कविता मुझे मिल गयी थी। अगले दिन उस स्टूडेंट को वो कविता दे दी। उसे कविता मिल गयी और मुझे कविता कोश...
उस दिन से लेकर आज तक जब भी कोई कविता, दोहा, नज़्म या कोई भी रचना जो मैं भूल जाती हूँ या अधूरी आती है कविता कोश की मदद से मुझे मिल जाती है। कविता कोश मेरे लिए जादू की पिटारी जैसा है जिसमें से हर बार मुझे मनचाही कविता मिल जाती है। ऐसा बहुत कम हुआ है कि मैंने कविता कोश में कुछ खोजा हो और वो मुझे ना मिला हो।
कविता कोश के बारे में मैंने अपने उस स्टूडेंट को तो बताया ही साथ ही साथ और भी कई बच्चों और मित्रों को बताया।मुझसे जब भी कोई किसी कविता के बारे में पूछता है जो उसे नहीं मिल रही होती है तो मैं उसे कविता कोश के बारे में बता देती हूँ।
कविता कोश जैसी साईट बनाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
मैं खुद एक टीचर होने के कारण अपने विद्यार्थियों को अनेक गद्य और पद्य से जुड़े प्रोजेक्ट देती रहती हूँ। बच्चे लेखकों के और अलग-अलग विधाओं के नाम सुनकर भयाक्रांत हो उठते हैं। आज की पीढ़ी को गूगल के अलावा कुछ और समझ ही कहाँ आता है!! ऐसे में मैं उन्हें हर विधा के लिए सिर्फ एक ही साईट खोलने की सलाह देती हूँ - कविता कोश (और इसी के जरिये गद्य कोश)। यकीन मानिए मुझे सिर्फ दो सेमेस्टर में ही उन्हें इस साईट के बारे में बताना पड़ा, बाकी अब इसका प्रचार वे खुद ही एक दूसरे के बीच कर रहे हैं। एक दिन मेरी एक स्टूडेंट मेरे पास उछलती हुई आई और बोली- "maam आपने तो बताया ही नहीं था कि गद्य कोश में आपका भी पन्ना है!!" और मैं सिर्फ प्यार से उसके गाल को थपथपा के हँस दी।
ललित जी, साहित्य के क्षेत्र में इस अमूल्य योगदान के लिए आप साधुवाद के पात्र हैं। हमारी हर पीढ़ी आपकी शुक्रगुज़ार रहेगी। आपको नमन है।
ललितजी को गुरूजी का स्नेहाशीष। कविता कोश की आठवीं वर्षगांठ की अग्रिम बधाई। कविता कोश का भाई गद्य कोश तो मुझे झकझोर कर जगादिया। प्रकाशन जगत की विडम्बनाओं से उब कर लेखन से ही जी चुरा रहा था। अब भला आप ही कहिये न- कोई नायिका रोज नये श्रृंगार करके बैठेगी और उसे निहारने वाला ही नहीं रहेगा तो क्या होगा? गद्य कोश पर मेरे दो उपन्यास और सोलह अन्य रचनाओं को स्थान देकर इस टीम ने मुझे तो भाई पुनुर्जीवित कर दिया। इसकी कितनी सराहना करुँ कम ही है। कविता की तो मैं तुकवन्दी भी नहीं कर पाता, अतः उसके लायक मेरे पास कुछ नहीं। पर कविता का रसास्वादन तो करता ही रहता हूँ। जानकरियों का पिटारा है कविता कोश। उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना। ईश्वर करे दिन-दूना रात चौगना तरक्की करे। पूरी मंडली को मेरा हार्दिक अभिनन्दन और आशीष।
चिर विरहिणी को अपने प्रियतम से मिल कर जो खुशी और आनन्द मिलता है; कुछ वैसी ही रसानुभुति होती है इस विराट कविता कोश को वारम्बार निहार कर।
कविता कोश के बारे में कुछ कहना अपने आप में एक असम्भव सा काम है। कविता कोश को मैंने हमेशा रेफेर करता था, जब भी मुझे कोई कविता या कुछ और जानकारियाँ चाहिए होती तो मुझे कविताकोश को देखता, वहीं से जानकारी हांसिल करता था। और आज भी मेरा सिंगल पॉइंट रिफरेन्स कविताकोश ही है। बाद में बहुत बाद में जब मेरी अपनी कविताएँ और कहानियाँ इसका हिस्सा बनी तो मैं ख़ुशी के मारे फूला न समाया। ये मेरी एक साहित्यकार के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। इसके लिए मैं ललित जी और कविताकोश का हमेशा ही शुक्रगुजार रहूँगा! ललित जी ने जो काम किया है कविताकोश के रूप में, वो अतुलनीय है। कविताकोश की तरह समृद्ध कोई और साईट नहीं है। इन्टरनेट पर इतनी अच्छी सामग्री कहीं और नहीं है। यकीनन, ललित जी ने बहुत मेहनत का काम किया है। मेरी दिल से बधाई और शुभकामनाएँ ललित जी को और कविताकोश को
ये है कविता कोश अनुपम, अलंकारों से जड़ा,
जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ा
हीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों ने गढी
कोश कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढीं.
थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ी
इनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.
जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,
साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र "कविता कोश" में
कविता कोश ने दो वर्ष की यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसके माध्यम से आपने हिन्दी के लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि कविताकोश की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए आपको मेरी ढेर सारी बधाई.
हिन्दी काव्य सृजन के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग के समक्ष कविता कोश के रूप में लाकर रखने का आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा के लिये लिए कम—अज़—कम मेरे पास तो शब्द ही नहीं हैं!
मात्र दो वर्ष में इतना अधिक नया—पुराना काव्य सृजन साहित्य प्रेमियों के लिए कविता कोष में जुटा पाना एक सपने जैसा तो लगता है, लेकिन इस सपने को यहाँ सच होते हुए भी हम देख ही पा रहे हैं। आश्वस्त हुआ जा सकता है कि आने वाले कुछ ही वर्षों में विश्व भर का हिन्दी काव्य यहाँ उपलब्ध होगा।
है तेरे साथ अगर तेरे इरादों का जुनूँ,
क़ाफ़िला है तू कभी खु़द को अकेला न समझ
आपका यह संकल्प निरन्तर बना रहे, सुदृढ़ हो!
यह हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए बड़े गर्व और हर्ष की बात है कि आपने जिस महत्वपूर्ण लेकिन बहुत कठिन काम का सपना देखा था, वह आज एक उपलब्द्धि के रूप में हमारे सामने हैं। नि:संदेह यह दुरुह और श्रमसाध्य कार्य था लेकिन आपकी निष्ठा और लगन ने सिद्ध कर दिया है कि आदमी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। कविता कोश में गत दो वर्षों में 325 से अधिक कवियों की 10,000 रचनाओं को संकलित करके न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए वरन आने वाली नई पीढ़ी के लिए एक बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है, इसके लिए आप को और कविता कोश की पूरी टीम को बधाई।
कविता कोश निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी रचना जगत का एक जरूरी वेब जाल है । शुभकामनाएँ और बधाई
इस भगीरथ आनन्द लहरी के बारे में क्या लिखूं, कविता कोष वाकई में काव्य प्रेमियों की विश्रामस्थली बन चुका है...दस्तक दो और मित्र हाजिर की भांति सूर तुलसी कबीर से लेकर नीरज और बशीर बद्र तक बच्चन, निराला फैज किस किस का नाम लूं, करीब-करीब सभी तो बस एक क्लिक अवे ! यह बहुमूल्य कविता कोष का खजाना यूं ही दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता रहे, इन्ही अशेष शुभकामनाओं के साथ...
यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
महान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश. जब से जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के इस महासागर में डूबती जाती हूँ. भगवान से प्रर्थना है की ये यूँ ही उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहे.
कवियों की रचनाओं से परिचय करवाता कविता कोश
कविताओं का विशाल सागर है ये कविता कोश
एक व्यक्ति नही पूरी टीम का प्रयास है कविता कोश
हो बधाई सब को जिसने भी सजाया कविता कोश
कवि प्रेमियों का बसेरा है ये कविता कोश
कविता कोश नामक इस साइट ने हिन्दी-जगत को जो अनूठा उपहार प्रदान किया है वह एक निश्चित ही सराहनीय है। इस साइट ने हिन्दी काव्य के हर पहलू एवं अतीत से वर्तमान तक से सभी साहित्यकारों के परिचय एवं उनके साहित्य को दिये योगदान को एक श्रृंखला में पिरोया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कविता कोश दिन-रात अमर बेल की तरह बढ़ता रहे।
कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा।
कविता कोश से परिचित होना हिन्दी कविता के संदर्भ में इकीसवीं सदी के कवि-स्वप्न से रूबरू होने जैसा है; कम से कम मुझे तो ऐसा ही अनुभव हो रहा है।
अंग्रेज़ी शब्दों के महाजाल के बीच स्थित कम्प्यूटर का अनजाना सा दिखनेवाला पर्दा जब अचानक महादेवी वर्मा, अज्ञेय, दुष्यंत कुमार इत्यादि की रचनाओं की दीप्ती तले कौंधने लगता है और विनोद कुमार शुक्ल, अरुण कमल आदि की रचनाओं को प्रस्तुत करने लगता है तो मन में हिन्दी कविता के प्रति आश्वस्ती सी जागती है। सुकून और तसल्ली की लहर हृदय को छूती है, दिलासा देती है कि हिन्दी कविता कहीं न कहीं वयव्यथा के बीच मौजूद है और शायद ऐसे ही आगे भी बनी रहेगी, स्वयं को बनाये रख पाएगी। ये तय है की कविता कोश स्वयं को और अधिक प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित कर पाएगा यदि विज्ञान के तीव्र क़दमों के बीच हिन्दी के फ़ॉन्ट को भी ढंग से नियोजित किया जाए।
शुभकामनाएँ।
कविता कोश के लिये!
कविता कोश का प्रथम स्वप्न देखने वाले के लिये!
कविता कोश टीम से सम्बंधित सभी लोगों के लिये।
हिन्दी उन्नति कर रही, देखि हुआ संतोष,
कविगण हो आनन्दमय, देखें 'कविता कोश'
देखें कविता कोश सभी पाठकगण आकर
दीवाने हों मधुशाला में डुबकी पाकर
कह 'सज्जन' कविराय, आज बन सुन्दर बिन्दी
भारत माता के मस्तक पर सजती हिन्दी