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13:00, 21 जून 2008 के समय का अवतरण
दरअस्ल सबसे आगे जो दंगाइयों में था
तफ़्तीश जब हुई तो तमाशाइयों में था
हमला हुआ था जिनपे वही हथकड़ी में थे
मुजरिम तो हाक़िमों के शनासाइयों में था
उस दिन किसी अमीर के घर में था कोई जश्न
बेरब्त एक शोर—सा शहनाइयों में था
हैराँ हूँ मेरे क़त्ल की साज़िश में था शरीक़
वो शख़्स जो कभी मेरे शैदाइयों में था
शोहरत की इन्तिहा में भी आया न था कभी
‘साग़र’!वो लुत्फ़ जो मेरी रुस्वाइयों में था