भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सच, सही, ईमान रहने दीजिये / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश चंद्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:34, 19 अक्टूबर 2017 का अवतरण
सच, सही, ईमान रहने दीजिये
अच्छे भले को इंसान रहने दीजिये
जटिल है कुटिलता निर्दोष निस्वार्थ भावों पर
अपने अंदर बच्चों सी मुस्कान रहने दीजिये
नये अर्थ मे न बाँटिये मूल ग्रन्थों को
पवित्र, बाइबल, गीता, कुरान रहने दीजिये
जो अच्छा कर सकते हैं, अच्छा करने दीजिये उन्हे
कठिन समय मे अच्छे हाथों मे कमान रहने दीजिये
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
सर्वे भवन्तु सुखिनः
और
वसुधैव कुटुम्बकम --
इन संस्कारों वाले देश को हिंदुस्तान रहने दीजिये !!