भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाथों में हाथ / राबर्ट ब्लाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राबर्ट ब्लाई |संग्रह= }} <Poem> हाथों म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:56, 21 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
हाथों में हाथ थामना किसी प्रिय का
आप पाते हैं कि वे नाजुक पिंजरे हैं...
गा रहे होते हैं नन्हे पंछी
हाथ के निर्जन मैदानों
और गहरी घाटियों में
अनुवाद : मनोज पटेल