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"तन्हाई / रचना दीक्षित" के अवतरणों में अंतर

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12:29, 8 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

कभी फुर्सत में देखती हूँ
अपने घर से
पीछे वाले घर की
एक विधवा दीवार
तनहा
अधमरा पलस्तर
दरकिनार हो चुका उससे
शांत, उदास, मायूस
अपने साथ जुड़े घर की तरह
मिलने जुलने वालों में,
दुख बाँटने वालों में
बची है तो बस
एक हवा और धूप
देखती हूँ
अचानक बरसात के बाद
घर का तो पता नहीं
पर दीवार बहुत खुश है
नए मेहमान जो आये हैं
कुछ नन्ही पीपल की कोपलें,
नन्ही मखमली काई
और फिर
उनसे मिलने वाले नए आगंतुक
तितली, चींटीं, कीड़े, मकोड़े,
कुछ उनके अतिथि
गौरय्या, कबूतर
और न जाने कौन कौन
खूब चहल पहल है
घर का तो पता नहीं
पर हाँ! दीवार बहुत खुश है
सोचती हूँ
पर कितने दिन