भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक दिन / आरती तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने एक दिन / आरती वर्मा पृष्ठ एक दिन / आरती तिवारी पर स्थानांतरित किया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:46, 15 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
उन्होंने कहा बड़ी हो रही है
तुम्हारी लड़की
उसे सलवार कमीज़ पहनना सिखाओ
ढंग से दुपट्टा ओढ़े
कोयल सी न कूके
हंसे न ज़ोर से बात बेबात
नज़रें नीची रखकर चले
हटा लो लड़कों के स्कूल से
बहुत पढ़ ली
कामकाज में माँ का हाथ बटाये
लड़की चुप रही
नही कही मन की बात
माँ बाप को चुभी
कील सी
दीवार बन सहती रही
कील होने का दर्द
प्यार की बरबादियाँ
समय के धरातल पर
समानान्तर रेखाओंं सी
खिची रहीं
नाटक का उपसंहार जाने बिना
खापों के थोपे नियमो का वहिष्कार कर
घर से भाग ही गई एक दिन