भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पीठ पर आंख / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:49, 20 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
चलता हुआ भी
ठहरा हुआ सा लगता है
चलते-चलते रास्ते में
रुक जाता कहीं
तो देर तक अटका हुआ रहता है
नहीं! थकान या
कमजोरी से नहीं ऐसा होता
न सांसें फूलती इसकी
न पिण्डलियों की पेशियां कमजोर
न यह दीर्घसूत्री है, न कामचोर
फिर क्या है जो यह अक्सर
पिछड़ जाता दौड़ में
आखिर कोई तो बात होगी?
ज़रा गौर से देखिए बंधु,
कहीं इसकी पीठ पर भी तो आँख नहीं!