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"धरती में डूब कर / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर

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16:08, 20 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

एक दिन
सूख जाता पानी
आग ठंडी पड़ जाती
हवा तो ठहरती ही क्या
कब की उड़ जाती कहां-कहां!
अन्ततः बची रहती धरती।
अमर हो जाती हैं वस्तुएं
धरती में डूब कर
धरती होकर।