भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं / राजीव भरोल 'राज़'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजीव भरोल }} Category:ग़ज़ल <poem> आपकी इ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:44, 21 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं
अपने पर खुद भी क़तर सकता हूँ मैं

जिस्म ही थोड़ी हूँ मैं इक सोच हूँ
गर्क हो कर भी उभर सकता हूँ मैं

इक फकत कच्चे घड़े के साथ भी
पार दरिया के उतर सकता हूँ मैं

कह तो पाऊँगा नहीं कुछ फिर भी क्या
आप से इक बात कर सकता हूँ मैं?

बाँध कर मुट्ठी में रखियेगा मुझे
खोल दोगे तो बिखर सकता हूँ मैं