भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"म त डुंगा भए / दिलिप योन्जन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिलिप योन्जन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:24, 1 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
म त डुंगा भए तिम्लाई, तिमी देउता भई जिउनु
जिउदै मलाइ आगो लगाई, नाठो संग आगो ताप्नु !
देबी देउता झुटो भयो, दुई दिन बिछोड हुदा
जानी बुझी छुरी हानी, तिमी बिना मर्छु भन्दा !
माया पनी सस्तो महँगो, फलाम भए सुन पाउदा
फुल सरी सजाउछु भन्थी, काडा भए तिन्लाई छुदा !
तिमी जिबन तिमी साहारा, मायाको नि खेल कस्तो
खुसी पाए दुखी भुल्ने, बाचा बन्धन कती सस्तो !