भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरसते तुम / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:42, 3 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

बरसते तुम
बरसते जैसे
अम्बर से
कभी पानी-
कभी आग

पुलकित धरती का रोम-रोम
हो जाता हरियल कभी

कभी झुलसा देते
सारी की सारी
खड़ी फसल।