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"समय का रिवाज नहीं रहा/ राजूरंजन प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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15:58, 21 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

कुछ लोग हैं जो
शब्दों को तोलते हैं
फिर मुह खोलते हैं
सामने बैठे दोस्त से
पूछा मैंने-
कुछ सुना
कहा उसने
जी, समझा
बोलना और सुनना
समय का रिवाज नहीं रहा शायद