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"राग-विराग : छह / इंदुशेखर तत्पुरुष" के अवतरणों में अंतर
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अच्छा ही हुआ जो हमने
अलग होते समय
लौटाया नहीं परस्पर वह सामान
जो कर चुके थे अर्पित
एक-दूसरे के लिए
वर्ना, मैं तो कंगाल ही हो जाता शब्दशः
लेकिन यह भी तो हो सकता था अगर हम
लौटाने लगते सब-कुछ
ज्यों का त्यों
तो टल जाता एक बार फिर
विलग होने का निर्णय।