"दरद दिसावर भाग-1 / भागीरथसिंह भाग्य" के अवतरणों में अंतर
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भागीरथसिंह भाग्य |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani}} {{KKCatKavita}} <poem>ल…) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem>लोग न जाणै कायदा ना जाणै अपणेस । | <poem>लोग न जाणै कायदा ना जाणै अपणेस । | ||
पंक्ति 41: | पंक्ति 41: | ||
सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर । | सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर । | ||
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥ | म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥ | ||
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + |
14:13, 30 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
लोग न जाणै कायदा ना जाणै अपणेस ।
राम भलाईँ मौत दे मत दीजै प्रदेश ||
ना सुख चाहु सुरग रो नरक आवसी दाय।
म्हारी माटी गांव री गळियाँ जै रळ जाय॥
जोगी आयो गांव सूँ ल्यायो ओ समचार ।
काळ पड्यो नी धुक सक्यो दिवलाँ रो त्युहार् ॥
इकतारो अर गीतडा जोगी री जागीर ।
घिरता फिरतापावणा घर घर थारो सीर ॥
आ जोगी बंतल कराँ पूछा मन री बात ।
उगता हुसी गांव मँ अब भी दिन अर रात ॥
जमती हुसी मैफलाँ मद छकिया भोपाळ ।
देता हुसी आपजी अब पी कै गाळ ॥
दारू पीवै आपजी टूट्यो पड्यो गिलास ।
पी कै बोलै फारसी पड्या न एक किलास ॥
साँझ ढल्याँ नित गाँव री भर ज्याती चौपाळ ।
चिलमा धूँवा चालती बाताँ आळ पताळ ॥
पाती लेज्या डाकिया जा मरवण रै देश ।
प्रीत बिना जिणो किसो कैजे ओ सन्देश ॥
काळी कोसा आंतरै परदेशी री प्रीत ।
पूग सकै तो पूग तूँ नेह बिजोगी गीत ॥
मरवण गावै पीपली तेजो गावै लोग ।
मै बैठयो परदेश मँ भोगू रोग बिजोग ।।
सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर ।
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥