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"‌नया वर्ष आने दो / कन्हैयालाल मत्त" के अवतरणों में अंतर

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व्यंग्य-विधा में
 
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है देख रहा लक्षणा
 
है देख रहा लक्षणा

13:58, 1 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

जो बीत गया है
उसे बीत जाने दो
             हँसता-मुस्काता
             नया वर्ष आने दो !

चल पड़ी सवारी प्राची से
दिनकर की
लो, करो आरती
             सद्यजात वत्सर की
             मन की वीणा को
             सामगान गाने दो !

कह गई किरण कानों में
आज सवेरे---
हैं भूत- भविष्यत्
वर्तमान के चेरे
             जो हुआ अस्तमित
             उसे शान्ति पाने दो !

श्रम-स्रवित गंध से
शस्त करो युग-पथ को
बढ़ने दो आगे-- बंधु,
             समय के रथ को
             इतिहासों को
             परिवर्तन नए लाने दो !

आकण्ठ-मग्न होकर जो
व्यंग्य-विधा में
है देख रहा लक्षणा
सहज अभिधा में
             उस छन्दव्रती के
             ताने भुगताने दो !

हँसता-मुस्काता
नया वर्ष आने दो !