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Kavita Kosh से
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आटे-बाटे दही पटाके,
सोलह -सोलह सबने डाटे। डाट-डूटकर चले बजार, पहुँचे सात समंदर समन्दर पार।सात समंदर समन्दर भारी-भारी,
धूमधाम से चली सवारी।
चलते-चलते रस्ता भूली, हँसते-हँसते सरसों फूली
फूल-फालकर गाए गीत,
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