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10:19, 15 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
ज़िंदगी इक किताब है यारो
हर वरक़ लाजवाब है यारो।
पढ़ सको तो पढ़ो मुहब्बत से
दिल की उम्दा किताब है यारो।
ख़ुदनुमाई जहाँ की फ़ितरत है
ये नशीली शराब है यारो।
लोक सेवक नहीं यहाँ कोई
हर कोई इक नवाब है यारो।
हक़फ़रोशी है जिस तरफ़ देखो
दोस्ती इक नक़ाब है यारो।
क़त्ल होती रही शराफ़त क्यों
वक़्त मांगे हिसाब है यारो।