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"नहीं मुमकिन कि खुशियों से भरा संसार हो जाये / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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19:19, 3 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

नहीं मुमकिन कि खुशियों से भरा संसार हो जाये
न हों ग़र मुश्किलें तो जिंदगी दुश्वार हो जाये

संभल कर पाँव रखना जिन्दगानी की डगर पर तुम
न जाने कब मुसीबत से नज़र दो चार हो जाये

फ़क़त आँसू बहाने से नहीं है जिंदगी कटती
जियो ऐसे कि हर इक मोड़ पर त्यौहार हो जाये

दिखे मजलूम ग़र कोई न उस का दिल दुखाना तुम
न जाने वेश में किस राम का दीदार हो जाये

छिपाये राज़ दिल मे कौन सा हो इस तरह बैठे
कहो कुछ मन की बातों का जरा इज़हार हो जाये

मुहब्बत हो अगरचे तो भला ईमान क्या रक्खे
नज़र भर देख लूँ तुझ को तेरा सिंगार हो जाये

रतन सोना जवाहर को कमा लेने से क्या हासिल
नजर फिरते ही सब दौलत यहीं बेकार हो जाये