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"हो! हमरा बनल रही भौकाल / जयशंकर प्रसाद द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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बेर बेर हँसावेले, बेर-बेर रिगावेले
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केनिओं थूकब केनियों चाटब
हमार नन्हकी॥
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चलब कुटनियाँ चाल।
हमके घूमरी घुमावेले, हमार नन्हकी॥
+
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
  
खात के बेरा हाथ थरिया में मारे
+
दिन के रात, रात दिन बोलब
तोतली बोलिया से बाबूजी पुकारे
+
झूठ के भोरही गठरी खोलब
भर घर के भर दिन, मन हरसावेले
+
लूटब रहब निहाल।
हमार नन्हकी॥ हमके घूमरी...
+
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
  
बइठल देखे त, खूँट धई खींचेले
+
जात धरम के पाशा फेंकब
अचके कोंहाले, आँखि दूनों मीचेले
+
तकलीफ़े में सभका देखब
पीट पीट थपरी, सभके बोलावेले
+
बजत रही करताल
हमार नन्हकी॥ हमके घूमरी...
+
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
  
अचके में रीझेले अचके में खीझेले
+
कुरसी के बस खेला खेलब
कबों कंचा खेले खाति हमरा भींचेले
+
सभही के आफत में ठेलब
कबों आगे कबों पीछे, सभे धउरावेले
+
होखी बाउर हाल
हमार नन्हकी॥ हमके घूमरी...
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हो हमरा बनल रही भौकाल॥
 
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11:12, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

केनिओं थूकब केनियों चाटब
चलब कुटनियाँ चाल।
हो हमरा बनल रही भौकाल॥

दिन के रात, रात दिन बोलब
झूठ के भोरही गठरी खोलब
लूटब रहब निहाल।
हो हमरा बनल रही भौकाल॥

जात धरम के पाशा फेंकब
तकलीफ़े में सभका देखब
बजत रही करताल
हो हमरा बनल रही भौकाल॥

कुरसी के बस खेला खेलब
सभही के आफत में ठेलब
होखी बाउर हाल
हो हमरा बनल रही भौकाल॥