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"हो! हमरा बनल रही भौकाल / जयशंकर प्रसाद द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | दिन के रात, रात दिन बोलब | |
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− | + | लूटब रहब निहाल। | |
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− | + | जात धरम के पाशा फेंकब | |
− | + | तकलीफ़े में सभका देखब | |
− | + | बजत रही करताल | |
− | + | हो हमरा बनल रही भौकाल॥ | |
− | + | कुरसी के बस खेला खेलब | |
− | + | सभही के आफत में ठेलब | |
− | + | होखी बाउर हाल | |
− | + | हो हमरा बनल रही भौकाल॥ | |
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11:12, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
केनिओं थूकब केनियों चाटब
चलब कुटनियाँ चाल।
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
दिन के रात, रात दिन बोलब
झूठ के भोरही गठरी खोलब
लूटब रहब निहाल।
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
जात धरम के पाशा फेंकब
तकलीफ़े में सभका देखब
बजत रही करताल
हो हमरा बनल रही भौकाल॥
कुरसी के बस खेला खेलब
सभही के आफत में ठेलब
होखी बाउर हाल
हो हमरा बनल रही भौकाल॥