भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खखन के गाड़ी / मथुरा प्रसाद 'नवीन'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा प्रसाद 'नवीन' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:34, 24 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

देखो ने,
आला के औलिया
हर तिजारत के पीछे
एगो बिचोंलिया
एखने के विधाता,
धैने विदेस में
अपन नाम के खाता
कहाँ जैबा?
जहाँ जैबा
कुछ नै पैबा
ई खखन के गाड़ी
जब तक नै उलटतो,
तब तक
आदमी के
आदमी से नै पटतो
चोर मंदिर में घुसल हे,
चोर महजिद के नेबाजी हे
साधू चाहे असाधू
सब हियां
पैसे के राजी हे।