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"हम नहि आजु रहब अहि आँगन / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर
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हम नहि आजु रहब अहि आँगन | हम नहि आजु रहब अहि आँगन | ||
− | जं बुढ होइत जमाय, गे | + | जं बुढ होइत जमाय, गे माई. |
एक त बैरी भेल बिध बिधाता | एक त बैरी भेल बिध बिधाता | ||
− | दोसर धिया केर बाप। | + | दोसर धिया केर बाप। |
− | तेसरे बैरी भेल नारद | + | तेसरे बैरी भेल नारद बाभन। |
− | जे बुढ अनल जमाय। गे | + | जे बुढ अनल जमाय। गे माइ॥ |
पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब | पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब | ||
− | दोसर तोड़ब | + | दोसर तोड़ब रुण्डमाल। |
बड़द हाँकि बरिआत बैलायब | बड़द हाँकि बरिआत बैलायब | ||
− | धियालय जायब पराय गे | + | धियालय जायब पराय गे माइ। |
धोती लोटा पतरा पोथी | धोती लोटा पतरा पोथी | ||
− | सेहो सब लेबनि छिनाय। | + | सेहो सब लेबनि छिनाय। |
जँ किछु बजताह नारद बाभन | जँ किछु बजताह नारद बाभन | ||
− | दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ। | + | दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ। |
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि | भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि | ||
− | दृढ करू अपन | + | दृढ करू अपन गेआन। |
सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु | सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु | ||
− | गौरी हर एक समान, गे | + | गौरी हर एक समान, गे माइ॥</poem> |
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12:40, 25 अप्रैल 2018 का अवतरण
हम नहि आजु रहब अहि आँगन
जं बुढ होइत जमाय, गे माई.
एक त बैरी भेल बिध बिधाता
दोसर धिया केर बाप।
तेसरे बैरी भेल नारद बाभन।
जे बुढ अनल जमाय। गे माइ॥
पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब
दोसर तोड़ब रुण्डमाल।
बड़द हाँकि बरिआत बैलायब
धियालय जायब पराय गे माइ।
धोती लोटा पतरा पोथी
सेहो सब लेबनि छिनाय।
जँ किछु बजताह नारद बाभन
दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ।
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
दृढ करू अपन गेआन।
सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु
गौरी हर एक समान, गे माइ॥