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"रात की ग़ार में उतरने का / विकास शर्मा 'राज़'" के अवतरणों में अंतर

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19:11, 25 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

रात की ग़ार में उतरने का
आ गया वक़्त फिर बिखरने का

उसकी रफ़्तार से तो लगता है
वो कहीं भी नहीं ठहरने का

नींद टूटी तो मुझको चैन पड़ा
ख़्वाब देखा था अपने मरने का

तन से पत्थर बँधे हुए हैं मिरे
मैं नहीं सत्ह पर उभरने का