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"यह ऋतु मधुमास की / गरिमा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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फूट आए नए कोंपल
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फूटती है नई कोंपल
 
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गुनगुनाती धूप भी अब
 
गुनगुनाती धूप भी अब
 
कर रही जादू  
 
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कूकने फिर लगी कोयल  
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कूकने है लगी कोयल  
 
यह ऋतु मधुमास की  
 
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10:54, 6 मई 2018 का अवतरण

फूटती है नई कोंपल
यह ऋतु मधुमास की

छा गई है
फूल, फल आनंद की खुशबू
गुनगुनाती धूप भी अब
कर रही जादू
कूकने है लगी कोयल
यह ऋतु मधुमास की

खेत में फिर
दलहनी की फसल लहराई
और झूमे पात-डाली
मस्त पुरवाई
हर तरफ हो रही हलचल
यह ऋतु मधुमास की

महक महुए की
करें मन को नशीला-सा
हो गया है
प्रेममय मौसम हठीला सा
प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल
यह ऋतु मधुमास की