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"शब्द / संजीब कुमार बैश्य / प्रभात रंजन" के अवतरणों में अंतर
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12:33, 7 जून 2018 के समय का अवतरण
शब्द उनके ह्रदय से
चिपक गए हैं
उनके ख़ाली पेट
सड़क पर
विद्रोह करते हैं
उनके फटे कपड़े
बनाते हैं दृश्य
उनकी आवाज़ों में
संगीत है
नीरस धरती का
वे
अव्यवस्था की धुन पर
नाचते हैं
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रभात रंजन