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"हमारे दिल में रह कर थक न जाएं / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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12:51, 2 जुलाई 2018 का अवतरण

हमारे दिल में रह कर थक न जाएं
तुम्हारे ग़म यहाँ पर थक न जाएं

हमें तो ज़ख़्म खाने की आदत
चला के लोग पत्थर थक न जाएं

हमारी दास्तां पर रोते रोते
तुम्हारे दीदा ए तर थक न जाएं

निकाला है दिलों ने काम इतना
कहीं दस्ते रफ़ूगर थक न जाएं

चरागों में ग़ज़ब का हौसला है
हवा ! तेरे ये लश्कर थक न जाएं