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| + | हास बन बिखरा अधर पर प्रात है, | ||
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| + | जिन्दगी का नाम ही बरसात है, | ||
| + | साँस में मेरी उनंचासों पवन, | ||
| + | यह प्रलय-पवमान मेरा क्या करेगा? | ||
| + | यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा? | ||
| − | + | कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है, | |
| − | + | और पैरों में कसकता शूल है, | |
| − | + | क्योंकि मेरा तो सदा अनुभव यही, | |
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| − | यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा? | + | |
| − | + | मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे, | |
| − | + | आफतें बढ़ना बताती हैं मुझे, | |
| − | + | पंथ की उत्तुंग दुर्दम घाटियाँ | |
| − | + | ध्येय-गिरि चढ़ना सिखाती हैं मुझे, | |
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| − | मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे, | + | |
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| − | यह पतन-उत्थान मेरा क्या करेगा?< | + | |
21:11, 19 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए,
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
बन्द मेरी पुतलियों में रात है,
हास बन बिखरा अधर पर प्रात है,
मैं पपीहा, मेघ क्या मेरे लिए,
जिन्दगी का नाम ही बरसात है,
साँस में मेरी उनंचासों पवन,
यह प्रलय-पवमान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है,
और पैरों में कसकता शूल है,
क्योंकि मेरा तो सदा अनुभव यही,
राह पर हर एक काँटा फूल है,
बढ़ रहा जब मैं लिए विश्वास यह,
पंथ यह वीरान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे,
आफतें बढ़ना बताती हैं मुझे,
पंथ की उत्तुंग दुर्दम घाटियाँ
ध्येय-गिरि चढ़ना सिखाती हैं मुझे,
एक भू पर, एक नभ पर पाँव है,
यह पतन-उत्थान मेरा क्या करेगा?
