भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंगिका केॅ अपनावोॅ / मनोज कुमार ‘राही’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज कुमार ‘राही’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:49, 21 जुलाई 2018 का अवतरण
अंगदेश के अपनोॅ बोली अंगिका,
एकरा सभ्भैं अपनावोॅ हो,
बहुतेॅ जरूरी छै समय के खातिर,
चलोॅ सभ्भैं सें मिली केॅ समझावोॅ हो
अंग देश के अपनोॅ
हमहूँ चलवै, तोहूँ चलिहोॅ,
मिलीजुली केॅ संगसंग जाय केॅ,
कुछ्छू दोसरा केॅ सुनी केॅ आपनोॅ सुनाय केॅ,
आवी चलोॅ अलख जगाय हो
आपनोॅ भाषा के छै बढ़ी महिमा भारी
इहेॅ बातोॅ केॅ समझोॅ सभ्भेॅ नरनारी,
सभा आरोॅ सम्मेलन करी केॅ,
विधायक आरो सांसद से मिली केॅ,
चलोॅ सरकार केॅ बतावोॅ हो
अंग देश के अपनोॅ