भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अकास धुंधळायोड़ो है / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:56, 23 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

अकास धुंधळायोड़ो है
आदमी उफतायोड़ो है

भांगै सगळी ओळखाण
आदमी सतायोड़ो है

मूंढै माथै मुळक रची है
आसूंड़ा लुकायोड़ो है

बिम्ब सै बिखर रिया
दरपण तिड़कायोड़ो है

गुलाब बिस कांटा बणैं
आदमी रो लगायोड़ो है

सुख रो सूरज तड़फड़ावै
सूळी पर चढ़ायोड़ो है

मन रा ताळा ना खुलै
कूंची गुमायोड़ो है

होठां माथै खीरा उछळै
पेट रो भड़कायोड़ो है