भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज रो मिनख / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
( ) | ( ) | ||
हर कान | हर कान | ||
− | ; | + | ; |
हर हाथ | हर हाथ | ||
÷ | ÷ | ||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
हर दुख | हर दुख | ||
+ | + | ||
− | |||
मिनख बस | मिनख बस | ||
चिन्न ई चिन्न | चिन्न ई चिन्न | ||
</poem> | </poem> |
10:17, 25 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
हर आंख
!
हर चैरो
?
हर होठ
( )
हर कान
;
हर हाथ
÷
हर साथ
%
हर तन
-
हर मन
{ [ ( ) ] }
हर पग
।
हर सुख
@
हर दुख
+
मिनख बस
चिन्न ई चिन्न