भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाइकु 83 / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:08, 26 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

ओ जगत है
रात भर बसेरो
थारो न म्हारो


ओ समंदर
उतार लायो चांद
धरती माथै


कित्ता बस्या है
मिनख में मिनख
खुद नीं जाणै