भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु 158 / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:11, 27 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
भ्रस्टाचार रो
सिस्टाचार निभावां
हैरिटेज है
सुख तो हुवै
समंदर रा झाग
दुख अथाग
बल्ब समझ
जळणो बुझणो है
खटकै हाथ