भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु 181 / लक्ष्मीनारायण रंगा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:56, 27 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
मा थारी आंख्यां
सूरज चांद म्हारा
दिन‘र रात
चैखट तोड़
मुगत हुसी चित्र
अेक दिन तो
अकास सुण
जै हूं नीं तो कांईं
थारो वुजूद