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"विवाद / अशोक कुमार" के अवतरणों में अंतर

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ज़िन्दगी के कारण पर कोई विवाद नहीं था
जीवन के कारण तयशुदा थे
जीने के हर किसी के कारण निहायत ही निजी थे

कोई पेट के लिए जीता था
कोई जीभ के लिए
कोई हाथ और कोई पैरों के लिए जीता था
कोई नाक तो कोई कान के लिए
कोई पूरी की पूरी देह के लिए जीता था

कोई मकान के लिए जीता था
कोई मुकाम के लिए जीता था
कोई जमीन के लिए
तो कोई आसमान के लिए जीता था

जीने के कारण स्पष्ट थे
जीने के कारण अभिव्यक्त थे
जीने के कारण तर्कपूर्ण थे
जीने के कारण मतिपूर्ण थे

हर कोई जीने के लिए मरता था
हर कोई जीते-जीते एक दिन मर जाता था

मरना मियादी था
मरना आकस्मिक था

मरने के कारण
जीने के ही कारण थे
और हर मृत्यु का एक कारण था
जो हर व्यक्ति के संग अव्यक्त था

ज़िन्दगी के कारकों पर कोई विवाद नहीं था
पर ताज्जुब था कि जीवन का परम सत्य
विवाद के परे नहीं था।