"चम्पा-सी देह / नीरजा हेमेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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कुछ स्वच्छ स्मृतियाँ | कुछ स्वच्छ स्मृतियाँ | ||
देह में सिहरन भरती पवन | देह में सिहरन भरती पवन | ||
− | कुछ | + | कुछ पुष्प चम्पा के |
जो तुमने मेरी हथेली पर रख कर | जो तुमने मेरी हथेली पर रख कर | ||
मुट्ठी बन्द कर दिया था | मुट्ठी बन्द कर दिया था | ||
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उतरेगा गहन अँधेरा | उतरेगा गहन अँधेरा | ||
तब मैं खोलूँगी अपनी बन्द मुट्ठी | तब मैं खोलूँगी अपनी बन्द मुट्ठी | ||
− | चम्पा के श्वेत | + | चम्पा के श्वेत पुष्पों से निकलते |
प्रकाश पुन्ज में | प्रकाश पुन्ज में | ||
तलाश लूंगी अपना पथ | तलाश लूंगी अपना पथ |
17:14, 1 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
उस पथ पर मैं
पुनः चलने लगी हूँ
उन स्मृतियों में मैं
पुनः विलीन होने लगी हूँ... ...
जहाँ तुम थे, मैं थी और थे
कुछ पुष्प चम्पा के
मुझे ज्ञात नहीं ये पथ
तुम तक जाएगा या कि नहीं
किन्तु मैं चलती जा रही हूँ
कदाचित् तुम
मुझे मिल जाओ
पथ के अन्तिम छोर पर
मेरे साथ हैं कुछ धुँधले
युवा-से दिन
कुछ स्वच्छ स्मृतियाँ
देह में सिहरन भरती पवन
कुछ पुष्प चम्पा के
जो तुमने मेरी हथेली पर रख कर
मुट्ठी बन्द कर दिया था
वो अब भी बन्द हैं
मेरी मुट्ठी में
पुश्पित सुगन्ध से भरे
संध्या काल के निर्जन सन्नाटे में
जब चलेंगी सिहरन भर देने वाली
सर्द हवायें
आसमान से धीरे-धीरे
उतरेगा गहन अँधेरा
तब मैं खोलूँगी अपनी बन्द मुट्ठी
चम्पा के श्वेत पुष्पों से निकलते
प्रकाश पुन्ज में
तलाश लूंगी अपना पथ
फैल जाएगी
चम्पा की गन्ध चहुँ ओर
तुम्हारी उजली स्मृतियाँ...