भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्या गजब रंग है आत्मविश्वास का / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) छो (Rahul Shivay ने क्या गजब रंग है आत्म विश्वास का / मृदुला झा पृष्ठ [[क्या गजब रंग है आत्मविश्वास का / मृदुल...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:15, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
क्या गजब रंग है आत्म विश्वास का,
‘‘लौट आया समय हर्ष उल्लास का।’’
आ गई जब मिलन की मधुर यामिनी,
क्यों दिखाते रहे दृश्य संत्रास का।
राह काँटे भरे हैं हमें डर नहीं,
है भरोसा सदा लक्ष्य के न्यास का।
सच रहेगा हमेशा सुपूजित यहाँ,
है जरुरत इसे सिर्फ एहसास का।
काम की बात हर पल करें सब यहाँ,
ध्यान रखते नहीं प्यार की प्यास का।
हो रहा है असर आज मधुमास का,
आ गया है समय हास-परिहास का।
यूँ न रूठा करो तुम कभी भी ‘मृदुला’,
दौर चलने दो तुम सिर्फ अभ्यास का।