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"होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

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16:39, 25 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये

इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये


गूँगे निकल पड़े हैं, ज़ुबाँ की तलाश में

सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये


बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन

सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिये


उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें

चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये


जिसने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ

इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिये