भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लुत्ती / गंग नहौन / निशाकर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=गंग नहौन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:46, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
अपराधी स्वीकारि चुकल छल अपराध
कऽ चुकल छल आत्म समर्पण
तैयो दागल गेलै गोली ओकरा।
खलासी स्वीकारि चुकल छल अपन गलती
दुनू कऽल जोड़ि लेने छल
तैयो पीटल गेलै ओकरा।
गृहणीक मधुर वचनो पर
उलहन देल गेलै
रण्डी धरि कहल गेलै ओकरा।
अनचोके एक दिन भऽ जएतैक
अन्याय, अत्याचार आ अनाचारक विरुद्ध
प्रतिक्रिया
प्रतिघात
प्रतिहिंसा।